गोविन्द देव के साथ प्रकटित बड़े दाऊ जी

Dau Ji Janmotsava

स्फुरदमलकिरीटं किप्रिणीकप्रणाहे, चलदलक कपोलं कुण्डल श्रीमुखाब्जम्।

तुहि न गिरि मनोज्ञं नील मेघाम्बराढ्यं, हल मुसल विशालं कामपालं समीडे।।

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