एकादशी विशेष श्रीसत्यनारायण कविता-कथा : श्री भानुप्रताप सिंह जी रचित व कविता सिंह द्वारा स्वरबद्ध


KAVITA SINGS INDIA भारतवाणी

Published on Jun 25, 2018

श्रीसत्यनारायण कविता-कथा : श्री भानुप्रताप सिंह जी की अनूठी रचना : हिंदू साहित्य व परंपरा का संगम

कवि परिचय : स्वर्गीय श्री भानुप्रताप सिंह जी का जन्म सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित क्षत्रिय कुल में हुआ था, सना 1907 में। प्रारंभिक शिक्षा में विलंब के बावजूद भी ये अत्यंत कुशाग्र बुद्धि छात्र थे। इलाहाबाद में अध्ययन हुआ और वाराणसी में तर्कशास्त्र के प्रवक्ता नियुक्त हुए। संस्कृत एवं  अंग्रेज़ी भाषाओं पर भी इनका समान रूप से अधिकार था।
काव्य परिचय : श्री सत्यनारायण कथा पुरातन काल से ही भारतीय हिंदू  समाज की आस्था का केंद्र रही है। उत्तर भारत, जो प्राचीन काल में आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था, का कदाचित् ही कोई ऐसा हिंदू परिवार होगा जिसमें वर्ष में किसी न किसी पूर्णमासी, एकादशी अथवा किसी अन्य शुभ पर्व पर श्री सत्यनारायण जी की कथा श्रद्धा एवं भक्ति के साथ न सुनी जाती हो। जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं वे भी इस कथा को उसी श्रद्धा से सुनते हैं जितनी कि शिक्षित समाज के लोग,  और बंधु बाँधव सहित प्रसाद  ग्रहण करके अपने जीवन को धन्य समझते हैं।
यह कथा श्रीमद्स्कंदपुराण के रेवाखण्ड में कही गई है, और मूल रूप  संस्कृत में है जिसे प्रायः कुल पुरोहित अपने यजमानों को सुनाते हैं।
आज से कुछ दशकों पहले तक हमारे लगभग सभी धर्म ग्रंथ केवल संस्कृत में ही उपलब्ध थे किंतु गीता प्रेस गोरखपुर के प्रयासों से उनके हिंदी रूपांतरण उपलब्ध हो सके, किंतु श्री सत्यनारायण कथा का कोई हिंदी रूपांतरण देखने में नहीं आता था। तब मेरे पूज्य पिता स्वर्गीय श्री भानुप्रताप सिंह जी ने 1926 में, अपनी अद्भुत काव्य क्षमता का परिचय देते हुए श्री सत्यनारायण कथा का यह काव्यरूप हिंदी रूपांतरण प्रस्तुत कर दिया जो अवधी भाषा में है, दोहा चौपाई सोरठे आदि ललित रस छंदों से ओतप्रोत है, और मूल कथा का शब्द प्रति शब्द हिंदी संस्करण है । इसका प्रथम संस्करण 1932 में प्रकाशित हुआ था। आशा है कि अब इस अमूल्य कृति के माध्यम से संस्कृत से अनभिज्ञ लोग भी इस व्रत कथा का रसास्वादन कर सकेंगे।
---दिनेश सिंह,
   सचिव, श्री भानुप्रताप सिंह स्मारक कल्याण समिति
   प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

Comments

Popular posts from this blog