"तीज" पर सुहागिन महिलायें शाम को जरूर सुनें कथा, पति होंगे दीर्घायु Haritalika Teej Pujan Vidhi 2018


Brijnaari Sumi
Published on Sep 11, 2018

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"तीज" पर सुहागिन महिलायें शाम को इस तरह करे पूजन, पति होंगे दीर्घायु Hariyali ka Teej Pujan Vidhi 18

हमारे धर्म मे खासकर सुहागिनों और कुंवारी लड़कियों के लिए तीज के व्रत का महत्त्व बहुत ज्यादा है। नवविवाहित महिलाएं अपने मायके जा कर इस पर्व को मनाती हैं। नई दुल्‍हनों को इस बात की जरूर जानकारी होनी चाहिए कि इस पर्व को क्‍यों मनाया जाता है।

यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की याद में मनाया जाता है. कहा जाता है कि एक बार देवी पार्वती ने हिमालय पर कठोर तप किया। वे शिव जी को मन ही मन अपना पति मान चुकी थीं और उनसे शादी करना चाहती थीं। लेकिन उनके पिता गिरिराज उनकी पूजा का मकसद नहीं जानते थे। एक दिन नारद मुनि ने आकर गिरिराज से कहा कि आपकी बेटी के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं। उनकी बात सुनकर पार्वती के पिता ने खुशी खुशी रिश्ते के लिए हां कर दी। उसके बाद नारद मुनि ने भगवान विष्णु से कहा कि गिरिराज अपनी बेटी का विवाह आपसे करना चाहते हैं। विष्णु भगवान ने भी अपनी सहमति दे दी। जब ये बात माता पार्वती को पता चली तो वे रोने लगीं और दुखी होकर पूरी बात अपनी सहेली को बतायी। उन्होंने अपनी सहेली से कहा कि उन्हें किसी गुप्त स्थान पर छिपा दें, वे भगवान विष्णु से विवाह नहीं करना चाहतीं। पार्वती की बात मान कर सखी उन्हें घने वन में ले गई और एक गुफा में उन्हें छुपा दिया। वहां एकांतवास में पार्वती ने और भी अधिक कठोरता से भगवान शिव का ध्यान करना प्रारंभ कर दिया।

पार्वती माता ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेत का शिवलिंग बनाया निर्जला व्रत रखकर रातभर शिव का ध्यान किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा तो पार्वती ने उन्हें अपने पति रूप में मांग लिया। शिव जी वरदान देकर वापस कैलाश पर्वत चले गए। इसके बाद पार्वती जी अपने गोपनीय स्थान से बाहर निकलीं। पार्वती ने व्रत संपन्न होने के बाद समस्त पूजन सामग्री और शिवलिंग को गंगा नदी में प्रवाहित किया और अपनी सखी के साथ व्रत का पारण किया। तभी गिरिराज उन्हें खोजते हुए वहां पहुंच गए। उन्होंने पार्वती से घर त्यागने का कारण पूछा तो उन्होंने पूरी बात बतायी और शिव जी से विवाह करने की शर्त पर ही घर जाने की बात की। उनकी हठ मानकर गिरिराज तैयार हो गए और धूमधाम से उनका विवाह शिवजी के साथ संपन्न कराया।

क्यों कहते हैं Hartalika Teej
मान्यता के मुताबिक उनकी मित्र ने उनका हरण किया था और घने जंगल में छोड़ा था। हरत का अर्थ है हरण और आलिका का अर्थ है सहेली। इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा।

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