अगले 15 दिन रोज़ शाम को इस जगह जला दे 1 दिया, दुनिया की कोई ताकत आपका कुछ नही बिगाड़ सकेगी चमकेगा भाग्


Brijnaari Sumi
Published on Sep 25, 2018

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सोमवार, 24 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है, ये 9 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद नवरात्र शुरू हो जाएंगे। श्राद्ध पक्ष में पितरों की प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय करने की परंपरा है।शास्त्रों के अनुसार इस दिन शाम तक पितृ धरती पर रहते हैं। शाम होने पर पितृ अपने लोक लौट जाते हैं। इस दिन का जो लोग लाभ नहीं उठाते हैं उन्हें साल भर पितरों की नाराजगी के कारण मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

इस दिन उन सभी मृतकों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो या जिनकी मृत्यु की तिथि की जानकारी नही हो। इसदिन सभी पितर अपने परिजनों के घर के द्वार पर बैठे रहते हैं। जो व्यक्ति इन्हें अन्न जल प्रदान करता है उससे प्रसन्न होकर पितर खुशी-खुशी आशीर्वाद देकर अपने लोक लौट जाते हैं। पितृ पक्ष पन्द्रह दिन की समयावधि होती है जिसमें हिन्दु जन अपने पूर्वजों को भोजन अर्पण कर उन्हें श्रधांजलि देते हैं।


श्राद्ध में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्त्व दिया जाता है। साथ ही पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को है। श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्त्व होता है। श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए। श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाओं को भी होता है।

शास्त्रों के अनुसार मान्यता है की भोजन का प्रथम भाग गाय के लिए दूसरा भाग कुत्ते के लिए और तीसरा भाग कौवे के लिए निकलना चाहिए ,पितृपक्ष के दौरान कोवे तथा कुत्ते को भोजन अवश्य दें इससे पितृ बहुत खुश होते है और इनकी कृपा से आपको कई बड़े लाभ प्राप्त होते है ! कौए को पितरों का रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वह रुष्ट हो जाते हैं। इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिया जाता है। पवित्र आचरण , भाषा मे मधुरता और सात्विकता बना कर रखे।

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