�� अपना Point साबित के लिए इतने कुतर्क?आइये कुछ Cross Questions करें।
सत्य सनातन Satya Sanatan
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अपना Point साबित के लिए इतने कुतर्क �� आइये कुछ Cross Questions करें।
कुछ भाइयों ने वीडियो भी नही देखा और कमेंट में फिर से मुझे उपदेश देना शुरु कर दिया है उनके लिए दो लाइनें! कि "जिन महाराज ने तर्क दिये हैं यह सविनय उन्ही से वितर्क है। इसलिए बिलबिलाएं नही।"
और
��
आपका अच्छा उपदेश है।
थोडा इस्कॉन वालो को भी समझाओ कि आर्य समाज आपको सपोर्ट करता है फिर भी आप क्यो कुतर्क करते रहते हो? आए दिन किसी न किसी का मजाक बनाते रहते हैं।
क्या आप यह चाहते हैं कि हम सबकुछ चुपचाप झेलते हुए बस एकतरफा सपोर्ट के चक्कर में मूलभूत सिद्धांतों को भी तिलांजली दे दें?
क्या यह सब एकता केवल हमारी जिम्मेदारी है??
सपोर्ट एकतरफा होता है क्या?
क्या भक्ति की शक्ति को सिद्ध करने के लिए झूठ या कुतर्क देना आवश्यक है?
सज्जन उत्तर जरूर दें। ����
बाकी बहुत सी बातें हैं जो इस वीडियो में आ नही पायी, तो फिर कभी।
लेकिन हमेशा यह ध्यान रखें कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने कभी ना मन्दिर तोडे ना मूर्ति, उनका आग्रह केवल इतना था कि हम सब वेदों की ओर लौटें। चित्र नही चरित्र की पूजा उपासना करें उसे आत्मसात करके।
यही नही एक बार उन्होंने एक मन्दिर टूटने से भी बचाया था।
बाते बहुत सारी हैं... वो फिर कभी। ��
धन्यवाद।
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अपना Point साबित के लिए इतने कुतर्क �� आइये कुछ Cross Questions करें।
कुछ भाइयों ने वीडियो भी नही देखा और कमेंट में फिर से मुझे उपदेश देना शुरु कर दिया है उनके लिए दो लाइनें! कि "जिन महाराज ने तर्क दिये हैं यह सविनय उन्ही से वितर्क है। इसलिए बिलबिलाएं नही।"
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आपका अच्छा उपदेश है।
थोडा इस्कॉन वालो को भी समझाओ कि आर्य समाज आपको सपोर्ट करता है फिर भी आप क्यो कुतर्क करते रहते हो? आए दिन किसी न किसी का मजाक बनाते रहते हैं।
क्या आप यह चाहते हैं कि हम सबकुछ चुपचाप झेलते हुए बस एकतरफा सपोर्ट के चक्कर में मूलभूत सिद्धांतों को भी तिलांजली दे दें?
क्या यह सब एकता केवल हमारी जिम्मेदारी है??
सपोर्ट एकतरफा होता है क्या?
क्या भक्ति की शक्ति को सिद्ध करने के लिए झूठ या कुतर्क देना आवश्यक है?
सज्जन उत्तर जरूर दें। ����
बाकी बहुत सी बातें हैं जो इस वीडियो में आ नही पायी, तो फिर कभी।
लेकिन हमेशा यह ध्यान रखें कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने कभी ना मन्दिर तोडे ना मूर्ति, उनका आग्रह केवल इतना था कि हम सब वेदों की ओर लौटें। चित्र नही चरित्र की पूजा उपासना करें उसे आत्मसात करके।
यही नही एक बार उन्होंने एक मन्दिर टूटने से भी बचाया था।
बाते बहुत सारी हैं... वो फिर कभी। ��
धन्यवाद।
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