गुलामी की निशानियों को कब तक ढोयेंगे हम | #BindasBol सुरेश चव्हाणके जी के साथ
आज के इस ख़ास "बिंदास बोल" कार्यक्रम में हम बात करेंगे उन शहरों और सड़को नामों के बारे में जो कभी मुगलों ने तो कभी अंग्रेजों ने रखे थे | आज वो समय आ गया है जब हमें गुलामी की ज़ंजीरों में बाँध के रखने वाले इन नामों को बदल कर वही नाम रख देने चाहिए जिनसे उन शहरों की पहचान थी जो इनके असली नाम थाय | आज हमरे देश में ऐसी सरकार है जो इन राज्यों को इनकी असली पहचान दिला सकते हैं | वक़्त आ गया है जब हमें गुलामी की ज़ंजीरो को तोड़ कर इन शहरों के नाम को बदल देना चाहिए |
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