हमारी अपनी पसंदीदा कचौरी की याद आ गयी तो हम एक दुकान पर कचौरी खाने आ गये
आज छुट्टी का या यूं कहें कि आराम का दिन है गर्मी भी तूफानी है, तो सोचा क्यों न आज कुछ खाने पर बात की जाये। हमारी अपनी पसंदीदा कचौरी की याद आ गयी तो हम एक दुकान पर कचौरी खाने आ गये। यदि आपने कभी कचौरी का नाम नही सुना, कभी खाई नही तो मैं तो बेहिचक मान लूंगा कि आप एलियन ही हैं। कोई इस पृथ्वी पर भारत मे जन्में और बिना कचौरी खाये मर जाये ये तो हो ही नही सकता।
मैदे के सुनहरे कवर में तली हुई दाल या प्याज के दुष्ट भरे मसालेदार का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह दिल दिमाग पर हावी बनी हुई है। हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। पूरे देश मे कहीं भी चले जाएं ये सभी जगज उपलब्ध रहती है। सुबह नाश्ते मे कचौरी हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इनके दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे।
कचौरी का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम कचौरी पर लागू नही होता। कचौरी सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। दिल मर मिटता है कचौरी पर। ये बेबस कर देती हैं आपको। कचौरी को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ।
कचौरी मे बडी एकता होती है। इनमें से कोई अकेली आपके पेट मे जाने को तैयार नही होती। आप पहली कचौरी खाते हैं तो आँखे दूसरी कचौरी को तकने लगती है, तीसरी आपके दिमाग पर कब्जा कर लेती है और दिल की सवारी कर रही चौथी कचौरी की बात आप टाल नही पाते।
कचौरी को देखते ही आपकी समझदारी घास चरने चली जाती हैं। आप अपने डॉक्टर की सारी सलाह, अपने कोलेस्ट्राल की खतरनाक रिपोर्ट भूल जाते हैं। पूरी दुनिया पीछे छूट जाती है आपके और आप कचौरी के पीछे होते हैं।
कचौरी को गरम गरम बनते देखना तो और भी खतरनाक है। आप कहीं भी कितने जरूरी काम से जा रहे हो, सडक किनारे किसी दुकान की कढाई मे गरम गरम तेल मे छनछनाती, झूमती सुनहरी कचौरी आपके पाँव रोक ही लेंगी। ये जादूगर सिर्फ कचौरी में ही होती हैं। ये आपको सम्मोहित कर लेती हैं। आप दुनिया जहान को भूल जाते हैं। आप खुद-ब-खुद खिंचे चले आते है कचौरी की दुकान की तरफ, और तब तक खडे रहते है जब तक दुकानदार दया करके आपको कचौरी की प्लेट ना थमा दें।
किसी मशहूर कचौरी दुकान को ध्यान से देखिये, यहाँ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्रियता, अमीरी, गरीबी का कोई भेद नही होता। कचौरी से प्यार करने वाले एक साथ धीरज से अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जिन बातो ने हमारे देश की एकता अखंडता बनाये रखने मे मदद की है उनमें कचौरी को बाइज्जत शामिल किया ही जाना चाहिये।
कचौरी, पीज्जा, बर्गर की दादी हैं। आदमी का पेट खराब करना पीज्जा, बर्गर ने कचौरी से ही सीखा है, पर जीभ के आगे पेट की सुनता कौन है। वो तो हम पैसे धैले के मामले मे अमेरिका से उन्नीस पडते हैं वरना पूरी दुनिया मे मैकडोनाल्ड की जगह कचौरी कार्नर की चेन्स होतीं। हमारे खाने पीने की दुनिया के बाद़शाह है कचौरी, और हमारे देश मे बादशाह को ना कहने का नहीं झुक झुक कर सलाम करने का रिवाज है।
तो फिर जाइये, अब देर किस बात की। तुरन्त दो-चार कचौरी उदरस्थ कीजिये और मस्त-मलंग हो कर दोबारा फिर कचौरी खाने के समय को निर्धारित कीजिये।
मैदे के सुनहरे कवर में तली हुई दाल या प्याज के दुष्ट भरे मसालेदार का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह दिल दिमाग पर हावी बनी हुई है। हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। पूरे देश मे कहीं भी चले जाएं ये सभी जगज उपलब्ध रहती है। सुबह नाश्ते मे कचौरी हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इनके दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे।
कचौरी का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम कचौरी पर लागू नही होता। कचौरी सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। दिल मर मिटता है कचौरी पर। ये बेबस कर देती हैं आपको। कचौरी को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ।
कचौरी मे बडी एकता होती है। इनमें से कोई अकेली आपके पेट मे जाने को तैयार नही होती। आप पहली कचौरी खाते हैं तो आँखे दूसरी कचौरी को तकने लगती है, तीसरी आपके दिमाग पर कब्जा कर लेती है और दिल की सवारी कर रही चौथी कचौरी की बात आप टाल नही पाते।
कचौरी को देखते ही आपकी समझदारी घास चरने चली जाती हैं। आप अपने डॉक्टर की सारी सलाह, अपने कोलेस्ट्राल की खतरनाक रिपोर्ट भूल जाते हैं। पूरी दुनिया पीछे छूट जाती है आपके और आप कचौरी के पीछे होते हैं।
कचौरी को गरम गरम बनते देखना तो और भी खतरनाक है। आप कहीं भी कितने जरूरी काम से जा रहे हो, सडक किनारे किसी दुकान की कढाई मे गरम गरम तेल मे छनछनाती, झूमती सुनहरी कचौरी आपके पाँव रोक ही लेंगी। ये जादूगर सिर्फ कचौरी में ही होती हैं। ये आपको सम्मोहित कर लेती हैं। आप दुनिया जहान को भूल जाते हैं। आप खुद-ब-खुद खिंचे चले आते है कचौरी की दुकान की तरफ, और तब तक खडे रहते है जब तक दुकानदार दया करके आपको कचौरी की प्लेट ना थमा दें।
किसी मशहूर कचौरी दुकान को ध्यान से देखिये, यहाँ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्रियता, अमीरी, गरीबी का कोई भेद नही होता। कचौरी से प्यार करने वाले एक साथ धीरज से अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जिन बातो ने हमारे देश की एकता अखंडता बनाये रखने मे मदद की है उनमें कचौरी को बाइज्जत शामिल किया ही जाना चाहिये।
कचौरी, पीज्जा, बर्गर की दादी हैं। आदमी का पेट खराब करना पीज्जा, बर्गर ने कचौरी से ही सीखा है, पर जीभ के आगे पेट की सुनता कौन है। वो तो हम पैसे धैले के मामले मे अमेरिका से उन्नीस पडते हैं वरना पूरी दुनिया मे मैकडोनाल्ड की जगह कचौरी कार्नर की चेन्स होतीं। हमारे खाने पीने की दुनिया के बाद़शाह है कचौरी, और हमारे देश मे बादशाह को ना कहने का नहीं झुक झुक कर सलाम करने का रिवाज है।
तो फिर जाइये, अब देर किस बात की। तुरन्त दो-चार कचौरी उदरस्थ कीजिये और मस्त-मलंग हो कर दोबारा फिर कचौरी खाने के समय को निर्धारित कीजिये।
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