मैं एक औरत हूँ
रचनाकार : सौम्या पांडेय
मैं एक औरत हूँ, मैं ढकूँ तो ढकूँ कहाँ तक , अपने को ,कभी नजरो में हूँ .. तो कभी किताबों में हूँ ,लोगो की बातों में हूँ , तो कभी परदे में हूँ ,शायर की शायरी में हूँ ,
[Read More]
Share
Posted: 31-03-2018
मैं एक औरत हूँ, मैं ढकूँ तो ढकूँ कहाँ तक , अपने को ,कभी नजरो में हूँ .. तो कभी किताबों में हूँ ,लोगो की बातों में हूँ , तो कभी परदे में हूँ ,शायर की शायरी में हूँ ,
[Read More]
Share
Comments
Post a Comment